Wednesday, August 28, 2013

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक-2013 लोकसभा में पारित

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक-2013 लोकसभा में पारित

rashtriya khadya suraksha Vidheyak Passed in Loksabha

लोकसभा ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक-2013 को ध्वनिमत से 26 अगस्त 2013 को पारित कर दिया. विधेयक पेश करने से पहले निम्न सदन ने विपक्ष की ओर से पेश संशोधनों को नामंजूर कर दिया. अभी इसे राज्यसभा द्वारा पारित किया जाना है.
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक-2013 को संसद की मंजूरी मिल जाने पर लाभांवित परिवारों में से प्रत्येक व्यक्ति के लिए तीन रूपये से एक रूपये प्रति किलोग्राम की दर से प्रति माह पांच किलो चावल, गेहूं या मोटे अनाज की गारंटी होगी. इस विधेयक में देश की 82 करोड़ आबादी को सस्ती दर पर अनाज मुहैया कराने का प्रावधान है.
विधेयक के कानून बनने के बाद भारत की यह खाद्य सुरक्षा योजना भूख से लड़ाई के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम होगा.

विधेयक के प्रमुख प्रावधान 
• प्रति परिवार 35 किलोग्राम अनाज प्रति माह मिलेगा.
• छह माह से 14 वर्ष तक के बच्चों को पोषक आहार दिया जाएगा.
• तीन वर्ष के लिए प्रति व्यक्ति हर महीने पांच किलो अनाज दिया जायेगा. जिसमें तीनरुपये प्रति किलो की दर से चावल, दो रुपये की दर से गेहूं और एक रुपये की दर से मोटा अनाज दिया जायेगा.
• यह तीन वर्ष के लिए होगा और बाद में इसकी समीक्षा की जायेगी.
• यह 2011 के जनगणना के आधार पर होगा और पीडीएस का सामाजिक ऑडिट होगा.
• गरीब परिवारों की पहचान के कार्य में राज्य सरकारों को शामिल किया जायेगा.

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत शामिल किये गये राज्य

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन- चावल के अंतर्गत 14 राज्यों के 142 जिले (आँध्र प्रदेश, असोम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश,5उड़ीसा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल) शामिल होंगे।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन- गेहूँ के अंतर्गत 9 राज्यों के 142 जिले (पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र व पश्चिम बंगाल) शामिल किये जाएंगे।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन– दलहन योजना के अंतर्गत 16 राज्यों के 468 जिले (आँध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, राजस्थान, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल) शामिल किये जाएंगे।
  • इस योजना के अंतर्गत इन जिलों के 20 मिलियन हेक्टेयर धान के क्षेत्र, 13 मिलियन हेक्टेयर गेहूँ के क्षेत्र व 4.5 मिलियन हेक्टेयर दलहन के क्षेत्र शामिल किये गये हैं जो धान व गेहूँ के कुल बुआई क्षेत्र का 50 प्रतिशत है। दलहन के लिए अतिरिक्त 20 प्रतिशत क्षेत्र का सृजन किया जाएगा।
विश्लेषण
विधेयक में 6 महीने से 3 वर्ष तक की आयु वर्ग तक के बच्चे को भी शामिल किया गया है परन्तु इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि 6 महीने से 3 वर्ष के बच्चे को क्या राशन देंगें. क्या उन्हें भी गेहूं और चावल दिया जाएगा.

कृषि मंत्रालय की वर्ष 2009 रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में सबसे गरीब व्यक्ति के अनाज की प्रतिव्यक्ति प्रतिमाह  खपत 9.8 किलोग्राम है, जबकि खाद्य सुरक्षा विधेयक में पांच किलोग्राम अनाज देने की बात कही गई है.

इस विधेयक के प्रावधानों को लागू करने में राज्यों पर कितना बोझ पड़ेगा और राज्य इसकी भरपाई कैसे करेंगें, इस बारे में कुछ नहीं बताया गया है.

विदित हो कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश- 2013 पर 5 जुलाई 2013 को हस्ताक्षर किया था. इसी के साथ ही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश- 2013 एक क़ानून बन गया.

अध्यादेश आने के बाद राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को 6 माह के अन्दर लोकसभा और राज्यसभा की मंजूरी अनिवार्य होती है.


खाद्य सुरक्षा बिल की ख़ास बात यह है कि खाद्य सुरक्षा कानून बनने से देश की दो तिहाई आबादी को सस्ता अनाज मिलेगा.

विधेयक में लाभ प्राप्त करने वालों को प्राथमिकता वाले परिवार और सामान्य परिवारों में बांटा गया है.

प्राथमिकता वाले परिवारों में ग़रीबी रेखा से नीचे गुज़र-बसर करने वाले और सामान्य कोटि में ग़रीबी रेखा से ऊपर के परिवारों को रखे जाने की बात कही गई है.

ग्रामीण क्षेत्र में इस विधेयक के दायरे में 75 प्रतिशत आबादी आएगी, जबकि शहरी क्षेत्र में इस विधेयक के दायरे में 50 प्रतिशत आबादी आएगी.

विधेयक में प्रत्येक प्राथमिकता वाले परिवारों को तीन रूपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल और दो रूपये प्रति किलोग्राम की दर से गेहूं उपलब्ध कराने की बात कही गई है.

खाद्य सुरक्षा विधेयक के मसौदे के प्रावधानों के तहत देश की 63.5 प्रतिशत जनता को खाद्य सुरक्षा प्रदान की जाएगी.

खाद्य सुरक्षा विधेयक का बजट पिछले वित्तीय वर्ष के 63,000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 95,000 करोड़ रुपए कर दिया जाएगा.

इस विधेयक के क़ानून में बदल जाने के बाद अनाज की मांग 5.5 करोड़ मिट्रिक टन से बढ़ कर 6.1 मिट्रिक टन हो जाएगी.

इस योजना के लाभार्थियों को दो भागों में बांटा गया है– प्राथमिकता वाले परिवार (जैसे बीपीएल या ग़रीबी रेखा से नीचे आने वाले लोग) और सामान्य परिवार (जैसे एपीएल या ग़रीबी रेखा से ऊपर आने वाले लोग).

इस विधेयक के तहत सरकार प्राथमिकता श्रेणी वाले प्रत्येक व्यक्ति को सात किलो चावल और गेहूं देगी. चावल तीन रुपए और गेहूं दो रुपए प्रति किलो के हिसाब से दिया जाएगा.

जबकि सामान्य श्रेणी के लोगों को कम से कम तीन किलो अनाज न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधे दाम पर दिया जाएगा.

ग्रामीण क्षेत्रों में 75 प्रतिशत आबादी को इस विधेयक का लाभ दिया जाएगा, जिसमें से कम से कम 46 प्रतिशत प्राथमिकता श्रेणी के लोगों को दिया जाएगा.

शहरी इलाक़ों में कुल आबादी के 50 फ़ीसदी लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान की जाएगी और इनमें से कम से कम 28 प्रतिशत प्राथमिकता श्रेणी के लोगों को दिया जाएगा.
नए प्रावधान

कुछ दिनों पहले खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने इस विधेयक के बारे में कहा था, “राष्ट्रीय सलाहकार परिषद और प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद से चर्चा के बाद 2009 में बनाए गए विधेयक के मसौदे में कुछ और प्रावधान जोड़े गए हैं.”

संशोधिक मसौदे में गर्भवती महिलाओं, बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं, आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाले बच्चों और बूढ़े लोगों को पका हुआ खाना मुहैया करवाया जाएगा.

खाद्य मंत्री के मुताबिक़ स्तनपान कराने वाली महिलाओं को महीने के 1,000 रुपए भी दिए जाएंगें.

इस विधेयक में ऐसा भी प्रावधान हैं, जिसके तहत अगर सरकार प्राकृतिक आपदा के कारण लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान नहीं कर पाती है, तो योजना के लाभार्थियों को उसके बदले पैसा दिया जाएगा.

महत्वपूर्ण है कि जनवितरण प्रणाली के तहत सरकार हर महीने 6 करोड़ 52 लाख बीपीएल परिवारों को 35 किलो गेहूं और चावल प्रदान करती है. इस योजना के तहत गेहूं 4.15 रुपए में दिया जाता है, जबकि चावल का दाम 5.65 रूपए किलो है.

एपीएल की श्रेणी वाले 11.5 करोड़ परिवारों को 6.10 रुपए में 15 किलो गेहूं और 8.30 रुपए में 35 किलो चावल दिए जाते हैं.

नया क़ानून लागू होने के बाद इससे कम दाम में गेहूं और चावल पाना निर्धन लोगों का क़ानूनी अधिकार बन जाएगा.

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